Children get education of Moral story in Hindi. . We post all types of Moral Stories in Hindi to make children successful.
बच्चों को मोरल कहानी की शिक्षा हिंदी में मिलती है। यह शिक्षा उन्हें अपने जीवन में सफल होने में मदद करती है। बच्चों को सफल बनाने के लिए हम सभी प्रकार की Moral Stories in Hindi पोस्ट करते हैं।
इसी कारण मैंने सर्प योनि में जन्म लिया है। इसलिए आप मुझे रोकिए मत। यदि आपने इस समय मुझे रोक दिया तो मैं फिर कभी अवसर देखकर इसे काट लूंगा। सांप ने उनसे फिर कहा, पिछले जन्म में मैं बकरा था। इसने एक व्यक्ति के कहने पर मुझे बेरहमी से तलवार से काट कर मेरा खून पिया था।
इसके देखते ही देखते मैंने प्राण त्याग दिया था। गुरु ने सांप को समझाते हुए कहा, तुम अपने ह्रदय में पैदा हुए दुश्मनी भाव को त्याग दें। यदि तू इसे काटेगा तो इसके दिल में भी तेरे पति शत्रुता का भाव पैदा होगा।यह इस जन्म का भाव लेकर मरेगा और दूसरे जन्म में तुझसे बदला लेगा।
इसके बाद तू बदला लेगा। इस तरह यह चक्र चलता ही रहेगा। इससे क्या लाभ होगा? न तो तुम्हें कभी शांति मिलेगी और ना इसे। सांप ने कहा, "महाराज! मैं आप जैसा ज्ञानी नहीं हूं। मैं तो साधारण प्राणी हूं।
जब सांप किसी तरह नहीं माना तो गुरु ने उसे कहा कि मेरे शिष्य के बदले मुझे ड्स लो। इस पर सांप ने कहा कि मैं आप जैसे धर्मात्मा व्यक्ति को काट कर नर्क में जाना नहीं चाहता। मैं तो आपके शिष्य को ही काट लूंगा। जब सांप किसी तरह नहीं माना तो गुरु ने कहा, यदि मैं तुम्हें इस का रक्त निकाल कर दे दूंगा तो क्या इससे बदला पूरा हो जाएगा।?
सांप ने गुरु की बात मान ली और कहा, हां, आप ऐसा कर सकते हैं।
गुरु ने पत्ते का दोना बनाया और उसे शिष्य के गले के पास रख कर उसकी गर्दन में चिरा लगाया। खून से धोना भर गया। तब उन्होंने वह रक्त सांप को पिलाया। सांप खून पीकर चला गया। उसका बदला पूरा हो गया था। जब गुरु ने शिष्य की गर्दन में चीरा लगाया था तो वह जाग गया था।
शिष्य बोला, गुरुदेव! मुझे आप पर पूरा विश्वास है। मैंने अपना सब कुछ आपको अर्पित कर दिया है। इसी से मैं जानता था कि आपके होते हुए कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आपकी और सांप की बात चीत सुनकर सांप की तरह ही मेरा भी शत्रुता का भाव शांत हो गया है। मैं धन्य हो गया हूं। शिष्य की बात सुनकर गुरु का हृदय प्रसन्नता से भर गया।
बच्चों को मोरल कहानी की शिक्षा हिंदी में मिलती है। यह शिक्षा उन्हें अपने जीवन में सफल होने में मदद करती है। बच्चों को सफल बनाने के लिए हम सभी प्रकार की Moral Stories in Hindi पोस्ट करते हैं।
1. सच्चा रक्षक Moral Stories In Hindi For Kids
मनुष्य के जीवन में गुरु का बहुत महत्व है। गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान का प्रकाश देता है। वह हमारी क्षमताओ का विकास कर हमें पूर्ण वह आदर्श पुरुष बनाता है। वह हमारा चरित्र निर्माण करता है तथा हमारे गुणों को दूर करता है। और उनकी महिमा का वर्णन संत कबीर ने निम्नलिखित दोहे मैं किया है_
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, कांके लागौ पाव।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।।
गुरु का स्थान भगवान के समान है गुरु ही हमारा सच्चा रक्षक है।प्राचीन काल में कोई गुरु और उनका शिष्य एक वन में भ्रमण कर रहे थे। घूमते घूमते जब थक गए तो एक छाया तार पेड़ देखकर उसके नीचे विश्राम करने लगे। थोड़ी ही देर में, थका हुआ शिष्य गहरी नींद में सो गया। लेकिन गुरु जागते रहे।
इतने में एक कला सांप सर सरता हुआ शिष्य की और आने लगा। गुरु ने उसे रोकने की कोशिश की तो वह सांप मनुष्य की आवाज में बोला, "हे मुनि! मुझे आपके शिष्य को काटना है। आप मुझे रोकिए मत।" गुरु ने उससे पूछा, तुम इसे क्यों काटना चाहते हो? सांप ने कहा,"आपके इस शिष्य ने पिछले जन्म में मेरा रक्त पिया था। अब मुझे इसका रक्त पीना है।
इसी कारण मैंने सर्प योनि में जन्म लिया है। इसलिए आप मुझे रोकिए मत। यदि आपने इस समय मुझे रोक दिया तो मैं फिर कभी अवसर देखकर इसे काट लूंगा। सांप ने उनसे फिर कहा, पिछले जन्म में मैं बकरा था। इसने एक व्यक्ति के कहने पर मुझे बेरहमी से तलवार से काट कर मेरा खून पिया था।
इसके देखते ही देखते मैंने प्राण त्याग दिया था। गुरु ने सांप को समझाते हुए कहा, तुम अपने ह्रदय में पैदा हुए दुश्मनी भाव को त्याग दें। यदि तू इसे काटेगा तो इसके दिल में भी तेरे पति शत्रुता का भाव पैदा होगा।यह इस जन्म का भाव लेकर मरेगा और दूसरे जन्म में तुझसे बदला लेगा।
इसके बाद तू बदला लेगा। इस तरह यह चक्र चलता ही रहेगा। इससे क्या लाभ होगा? न तो तुम्हें कभी शांति मिलेगी और ना इसे। सांप ने कहा, "महाराज! मैं आप जैसा ज्ञानी नहीं हूं। मैं तो साधारण प्राणी हूं।
मैं अपना बदला लिए बिना इसे छोड़ूंगा नहीं।"
जब सांप किसी तरह नहीं माना तो गुरु ने उसे कहा कि मेरे शिष्य के बदले मुझे ड्स लो। इस पर सांप ने कहा कि मैं आप जैसे धर्मात्मा व्यक्ति को काट कर नर्क में जाना नहीं चाहता। मैं तो आपके शिष्य को ही काट लूंगा। जब सांप किसी तरह नहीं माना तो गुरु ने कहा, यदि मैं तुम्हें इस का रक्त निकाल कर दे दूंगा तो क्या इससे बदला पूरा हो जाएगा।?
सांप ने गुरु की बात मान ली और कहा, हां, आप ऐसा कर सकते हैं।
गुरु ने पत्ते का दोना बनाया और उसे शिष्य के गले के पास रख कर उसकी गर्दन में चिरा लगाया। खून से धोना भर गया। तब उन्होंने वह रक्त सांप को पिलाया। सांप खून पीकर चला गया। उसका बदला पूरा हो गया था। जब गुरु ने शिष्य की गर्दन में चीरा लगाया था तो वह जाग गया था।
लेकिन वह जानता था कि गुरु के हाथों में उसका जीवन सुरक्षित है: अतः वह चुपचाप आंखें बंद किए पढ़ा था। सांप के जाने के बाद गुरु ने अपने शिष्य के घाव को अपनी विद्या से बंद कर दिया और वन की जड़ी बूटियों से दवा बनाकर उस घाव पर पट्टी बांध दी। तब शिष्य ने आंखें खोली। उसे जागा हुआ देखकर गुरु ने कहा, कितनी गहरी नींद है। तेरी?
शिष्य ने कहा, "गुरुदेव! आपकी शरण में सुरक्षित सब कुछ देख रहा था। आप मेरे सीने पर बैठे कर हाथ में चाकू लिए थे। मेरे गले में गिरा लगाकर आप खून निकाल रहे थे। और सांप पिला रहे थे। गुरुजी! मैं तो चाकू लगते ही जाग गया था। गुरु ने कहा बेटा तब तुम बोला क्या नहीं ?
शिष्य बोला, गुरुदेव! मुझे आप पर पूरा विश्वास है। मैंने अपना सब कुछ आपको अर्पित कर दिया है। इसी से मैं जानता था कि आपके होते हुए कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आपकी और सांप की बात चीत सुनकर सांप की तरह ही मेरा भी शत्रुता का भाव शांत हो गया है। मैं धन्य हो गया हूं। शिष्य की बात सुनकर गुरु का हृदय प्रसन्नता से भर गया।
याद रखिए
अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। गुरु सदैव भला चाहते हैं तथा शिष्य की उन्नति और विकास देखकर पसंद होते हैं। अतः हमें सदैव गुरु का सम्मान करना चाहिए।
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Disclaimer
India gayan - ऊपर दी गई कहानी का सत्यता से कोई तात्पर्य नहीं है यह सिर्फ बच्चों के लिए मनोरंजन और ज्ञान के लिए बनाया गया है यह किसी सत्य घटना से कोई संबंध नहीं रखता है
1 टिप्पणियाँ
Good story
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