Today we are presenting the best Hindi Panchatantra stories for your children.Best hindi panchtantra stories for kids.panchatantra short moral stories in hindi.
1. अहंकारी साधु (panchatantra short moral stories in hindi)
यह कहानी उस समय की है जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो सम्मेलन के बाद भारत वापस आ गए थे। अब उनकी चर्चा विश्व के हर देश में हो रही थी। सभी लोगों ने जाने लगे थे स्वामी जी अपने स्वभाव अनुसार भ्रमण कर रहे थे इस समय वह हिमालय के क्षेत्र में थे।
एक दिन वह घूमते घूमते एक नदी के किनारे आ गए। वहां देखा कि एक नाम है जो किनारा छोड़ चुकी है। स्वामी जी नाव को वापस आने के इंतजार में वही बैठ गए। वहीं से एक साधु गुजर रहा था स्वामी जी को वहां बैठा देख साधु स्वामी जी के पास आकर पूछा तुम यहां क्यों बैठे हो स्वामी जी ने कहा नाव का इंतजार कर रहा हूं।
साधु ने फिर पूछा तुम्हारा नाम क्या है। स्वामी जी ने कहा मैं विवेकानंद हूं। साधु ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा अच्छा तो तुम ही वह विवेकानंद हो जीसे लगता है कि विदेश में जाकर भाषण देने से बहुत बड़े महात्मा बन सकते हो। स्वामी जी ने साधु को कोई जवाब नहीं दिया। फिर साधु बड़े घमंड के साथ उस नदी के पानी पर चलकर शक्ति प्रदर्शन किया।
फिर वह स्वामी जी के पास आया और बोला क्या तुम मेरी तरह इस जल पर चलकर नदी पार कर सकते हो स्वामी जी ने बहुत ही आदर पूर्वक कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि आपके पास बहुत ही अद्भुत शक्ति है। लेकिन साधु महाराज क्या आप मुझे बता सकते हैं। इस शक्ति को प्राप्त करने में कितना समय लगा। साधु ने जवाब दिया मैंने 20 साल की कठिन तपस्या और साधना से इस शक्ति को प्राप्त किया है।
साधु या बहुत अहंकार से बताया। स्वामी जी शांत होकर बोले आपने ऐसी विद्या को प्राप्त करने में 20 साल का समय बर्बाद किया जिसे एक नाव 5 मिनट में कर सकती है। आप यह विशाल निर्धन गरीब की सेवा में लगा सकते थे। किंतु आपने अपने 20 साल 5 मिनट बचाने के लिए बर्बाद कर दिए। यह कोई बुद्धिमानी नहीं है। साधु सिर झुकाए खड़े रह गया। और स्वामी जी नाव में बैठकर नदी के दूसरे किनारे चले गए।
2. गरीब की थाली (panchatantra short stories in hindi with moral)
मिर्जापुर नाम के गांव में बबलू और गुड्डू नाम के 2 दोस्त रहते थे। दोनों दाल चावल का व्यापार करते थे। दोनों में गुड्डू बहुत ही लालची था अपना माल बढ़ा चढ़ाकर महंगे दामों में बेचता था। बबलू सही दाम पर अपना अनाज भेजता और गरीबों की मदद भी करता था।
दोनों हमेशा साथ में ही अपना माल लेकर जाते पर बबलू का ज्यादा माल बिक जाता और गुड्डू का हमेशा की तरह कम माल बिकता था।एक दिन दोनों एक गांव में जाते हैं और गांव के दो हिस्सों में बांट देते हैं। दोनों अलग-अलग हिस्से में अपना माल बेचने जाते हैं। गुड्डू आवाज लगाता हुआ अनाज ले लो चावल ले लो पुकारता जाता है।
तभी एक राहगीर गुड्डू से पूछता है जरा गेहूं का दाम बताओ । गुड्डू कहता है ₹20 के 1 किलो मिलेगा सरकार राहगीर बोला बाकी जगह तो ₹15 किलो ही मिलता है। आप बहुत महंगा बेच रहे हो गुड्डू कहता है आप को नहीं लेना है तो मत लीजिए। कुछ वक्त के बाद तो आप मुफ्त में मांगने लगेंगे इतना सस्ता भला कौन बेचता है।
गुड्डू अनाज की बोरी उठा कर आगे बढ़ता है। गुड्डू की आवाज सुनकर दूर खड़ी एक गरीब बूढ़ी मां घर के भीतर जाकर अपने पति से कहती हैं। अजी सुनते हो बाहर अनाज बेचने वाला आया है अपने घर का सारा अनाज खत्म हो गया है।
थोड़ा अनाज तो ले लो नहीं तो कल से खाने के लिए हमारे घर में कुछ नहीं बचेगा। बूढ़ा व्यक्ति बोला तुम सही कह रही हो पर हमारे पास पैसे नहीं हैं। वह हमें किस चीज के बदले अनाज देगा। बूढ़ी औरत बोली हमारे घर में एक आपके पिताजी की बहुत पुरानी थाली है।
चलिए उससे बात करिए उस थाली के बदले कुछ अनाज दे दे हमें दोनों गुड्डू के पास आते हैं और कहते हैं बेटा मेरे पास पैसे नहीं हैं। मेरे पास यह पुरानी थाली है क्या तुम इस थाली के बदले मुझे कुछ अनाज दे दोगे।
गुड्डू थाली को लेता है और उसे रगड़ता है। तो उसे पता लगता है। यह थाली तो सोने की है। गुड्डू के मन में लालच आ जाता है। वह कहता है इस थाली के बदले आपको तो एक मुट्ठी अनाज भी नहीं मिलेगा। ऐसा बोलकर थाली फेंक देता है।
और मन में बहुत खुश होता है कि थोड़ी देर बाद आऊंगा थोड़े से अनाज दूंगा। और थाली लेकर चला जाऊंगा इस थाली को बेचकर मैं बहुत अमीर हो जाऊंगा। जैसे ही वह जाता है उधर से बबलू भी आ जाता है। बबलू दोनों को उदास देख कर पूछता है चाचा क्या बात है। बूढ़ा सारी बात बताता है। बबलू बूढ़े व्यक्ति को अनाज देता है।
बूढ़ा व्यक्ति कहता है नहीं बेटा यह थाली ले लो बबलू जब उस थाली को रगड़ कर देखता है तो कहता है यह थाली तो सोने की है। बूढ़ा व्यक्ति कहता है बेटा जो कुछ तुम देना चाहो दे दो बबलू कहता है इसके बदले में आपको अपना सारा अनाज और सारे पैसे दे देता हूं।
बबलू उन्हें अपने सारे अनाज पैसे देकर खाली लेकर चला जाता है। तब से उधर गुड्डू भी आता है और कहता है चाचा जी लाओ अपनी थाली उसके बदले मैं तुम्हें कुछ अनाज दे देता हूं। तब बूढ़ा व्यक्ति बोला बेटा हुआ था ली तो सोने की थी।
एक भले आदमी ने हमें उसके बदले ढेर सारा अनाज और पैसे देकर गया है। यह सब देख कर गुड्डू सर पकड़ कर रोने लगा। थोड़े से अनाज के चक्कर में उसने सोने की थाली खो दी।
शिक्षा :- हमें लालच नहीं करना चाहिए और हमेशा दूसरे की सहायता करनी चाहिए।
2. Moral of this panchtantra stories
We should not be tempted and always help the other.
3. मूर्ख बंदर (Best hindi panchtantra stories for kids)
एक जंगल में एक बहुत ही आलसी बंदर रहता था। वह खुद के लिए भोजन नहीं खोजता तथा दूसरों के भोजन को छीन कर खा जाता था। एक दिन बाद हाथी केले खा रहा था तब बंदर उसे केले छीन कर खाने लगा। हाथी बोला बड़ा बेशर्म जानवर वो खुद के लिए खाना लाते नहीं हो और दूसरों का खाना खा जाते हो बंदर बोला अरे हाथी भाई इतना गुस्सा मत करो अगली बार से नहीं खाऊंगा।
बंदर कुछ आगे बढ़ा तो बंदर को एक खरगोश गाजर खाते दिखा बंदर खरगोश के गाजर को छीन लिया और खाने लगा। बंदर भी बोला बहुत बेशर्म हो बंदर खरगोश की बात सुनकर बोला खरगोश भाई गुस्सा मत करो अगली बार से नहीं कहूंगा।
फिर वह शेर के गुफा के पास हो जा जहां शेर ने कुछ फल रखे थे बंद और उसे चुराकर खाने लगा। शेर जब उसे देखा तो बोला तुम इस जंगल के जानवर हो इसलिए तुम्हें छोड़ देता हूं अगर दोबारा इस तरफ दिखाई दिए तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा।
बंदर वहां से कुछ दूर चला तब उसे एक आम का पेड़ दिखाई दिया वह उस आम के पेड़ को देखकर सोचने लगा। अगर मुझे इस पेड़ की फल मिल जाए तो मुझे दूसरे का भोजन लेकर आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
ऐसा सोच कर पेड़ पर चढ़कर पेड़ की डाली काटने लगा। तभी वहां हाथी आया और बोला अरे बंदर भाई अभी आप क्या कर रहे हैं आप जिस डाली पर बैठे हैं वहीं डाली काट रहे हैं।
बंदर बोला तुम्हें क्या तुम अपना काम करो। तभी वहां खरगोश आया और बंदर को समझाया। पर बंदर उसकी भी बात नहीं माना और तभी वहां शेर आया वह भी उसे समझाने की बहुत कोशिश की पर वह नहीं माना तभी पेड़ की डाली कर चुकी थी।
वह डाली के साथ बंदर भी नीचे गिर गया। तब सभी ने बोला तुम्हें समझा रहे थे पर तुम नहीं माने बंदर को अपनी गलती का एहसास हो गया। और वह अपने आलस को छोड़कर अच्छे से रहने लगा।
शिक्षा :- हमें आलस नहीं करना चाहिए तथा दूसरों के खाने को छीन कर नहीं खाना चाहिए।
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