महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12
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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12
हिंदी साहित्य के छायावाद युग मैं महादेवी वर्मा 4 स्तंभों में से एक प्रमुख स्तंभ के रूप में जानी जाती हैं यह इसलिए क्योंकि उन्होंने हिंदी साहित्य में इतनी श्रेष्ठ रचनाएं प्रदान की है।
इसलिए महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य के आधुनिक युग की मीरा के नाम से जाना जाता है और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने भी महादेवी वर्मा को हिंदी के विशाल साम्राज्य की सरस्वती कहा है।
महादेवी वर्मा संक्षिप्त परिचय
नाम | महादेवी वर्मा |
जन्म | 26 मार्च 1960 ईस्वी |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद |
पिता का नाम | श्री गोविंद प्रसाद वर्मा |
माता का नाम | श्रीमती हेम रानी देवी |
उच्च शिक्षा | संस्कृत प्रयागराज विश्वविद्यालय से |
अवधि/काल | बीसवीं शताब्दी |
राष्ट्रीयता | भारती |
उल्लेखनीय कार्य | मेरा परिवार, पथ के साथी, यम |
जीवनसाथी | डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा |
मृत्यु | 11 सितंबर 1987 (उम्र 80) |
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय Biography of Mahadevi Verma
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च सन 1907 ईo में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में होलिका दहन के पर्व के दिन हुआ था।
महादेवी वर्मा के पिता जी का नाम श्री गोविंद प्रसाद वर्मा था जो भागलपुर के एक महाविद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर थे।
महादेवी वर्मा कि माताजी का नाम हेमरानी देवी था। इनकी माताजी धार्मिक और संस्कारी प्रवृत्ति की थी।
जिसका प्रभाव महादेवी वर्मा पर पड़ा महादेवी वर्मा ने भी अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन विद्यालय से शुरुआत की।
महादेवी वर्मा साहित्य लेखन में बहुत रुचि लेती थी उन्होंने 7 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था।
महादेवी वर्मा ने अंग्रेजी संस्कृत चित्रकला आदि विषयों की शिक्षा अपने घर से प्राप्त की लेकिन शादी के पश्चात उनके अध्ययन में कई बाधाएं उत्पन्न हुई।
लेकिन इनके पति जी के प्रयास से महादेवी वर्मा जी इलाहाबाद कॉलेज में अध्ययन किया और वही हॉस्टल में रहने लगी।
महादेवी वर्मा कक्षा आठवीं की परीक्षा में पूरे प्रांत में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
महादेवी वर्मा ने जब 10वीं परीक्षा पास की तब वह एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थी।
महादेवी वर्मा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1932 में संस्कृत विषय में m.a. पास किया।
महादेवी वर्मा ऐसी कवयित्री हैं जिन्होंने भारत देश की गुलामी और आज़ादी दोनों को ही देखा है।
महादेवी वर्मा जी के पति का नाम डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा है।
महादेवी वर्मा जी ने आजादी के पश्चात समाज सुधारक के रूप में अपना योगदान दिया है उन्होंने समाज में रहकर समाज के कष्टों से हाहाकार और लोगों को रोते हुए देखा है।
महादेवी वर्मा ने उस भयानक दुख की परिस्थिति को अपने काव्य में दिखाया है।
महादेवी वर्मा जी की मृत्यु सन 1987 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की महान कवयित्री के रूप में हमेशा प्रसिद्ध रहेंगी।
महादेवी वर्मा का साहित्यिक योगदान Contribute in litreture
महादेवी वर्मा जी ने राष्ट्रीय जागरण की कविता बचपन से ही लिखना आरंभ कर दिया था।
उनकी लिखी गई कविता में मानवीय संवेदना साफ साफ दिखाई देती थी।
महादेवी वर्मा ने अध्ययन और लेखक संपादन में अपना अहम योगदान दिया है। इन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य तथा उपकुलपति भी नियुक्त किया गया था।
इनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में नीरजा, संगीता, निहार, दीपशिखा और यामा उल्लेखनीय हैं, और स्मृति की रेखाएं और अतीत के चलचित्र उनके स्मरण आत्मा का गद्य रचना संग्रह है।
और श्रृंखला की कड़ियां, पथ का साथी, मेरा परिवार और क्षणदा उनके निबंध संकलन है। महादेवी वर्मा बौद्ध धर्म को मानती थी और महात्मा गांधी के आदर्शों को भी मानती थी इसलिए उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर समाज सेवा में योगदान दिया।
महादेवी वर्मा ने स्त्री की मुक्ति और शिक्षा इसके साथ-साथ विकास के लिए समाज में आवाज उठाई है सच में यह एक प्रशंसनीय कार्य है।
महादेवी वर्मा की कृतियां Creation of Mahadevi varma
महादेवी वर्मा की कुछ कृतियां नीचे बताने जा रहे हैं।
कविता संग्रह - नीरजा, संध्यगीत, रश्मि, निहार, दीपशिखा, अग्नि रेखा, प्रथम आयाम आदि कविता संग्रह महादेवी वर्मा जी के हैं और इनके अन्य काव्य संग्रह जैसे आत्मिका, परिक्रमा, यामा आदि कृतियां महादेवी वर्मा जी की हैं।
निबंध - महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबंध में विवेचनात्मक गद्य, श्रृंखला की कड़ियां, साहित्यकार की आस्था, तथा अन्य निबंध है।
रेखा चित्र- स्मृति की रेखाएं और अतीत के चलचित्र महादेवी वर्मा जी के प्रमुख रेखा चित्र है।
संस्मरण - मेरा परिवार और पथ के साथी और संस्मरण आदि महादेवी वर्मा के प्रमुख संस्मरण हैं।
ललित निबंध - क्षणदा
कहानियां - गिल्लू आदि
महादेवी वर्मा का बाल साहित्य
1- ठाकुर जी भोले हैं।
2- आज खरीदेंगे हम ज्वाला
महादेवी वर्मा का भाव पक्ष Mahadevi Verma ka bhav Paksh
महादेवी वर्मा ने अपने मन की पीड़ा और वेदना को अपने काव्य में कई रूपों में व्यक्त किया है।
महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में प्रकृति के विभिन्न चित्रों को ऐसे चित्रित किया है मानो वे सजीवता को प्रदर्शित करते हैं।
इनकी कविताओं में आध्यात्मिक तथा रहस्य दोनों का समावेश एक साथ दिखाई देता है इनकी काव्य में मुक्ति आकांक्षा भी दिखाई देती है।
महादेवी वर्मा अपने काव्य में मुक्ति आकांक्षा को सीधे तौर पर व्यक्त नहीं किया है जबकि एक एक अकेली स्त्री के मनोदशा का अनुभव करते हुए विरह वेदना अकेलापन प्रिय से मिलन आदि मनोभावों का वर्णन मोहम्मद स्पर्शी तरीके से किया ममस्पर्शी तरीके से किया है।
महादेवी वर्मा का कला पक्ष Mahadevi varma ka kala paksh
महादेवी वर्मा ने अपनी कविता में ब्रजभाषा के साथ-साथ अनुकूल संस्कृत और बांग्ला भाषा युक्त शब्दावली का प्रयोग किया जिसका प्रयोग कविता में असंभव हुआ करता था।
महादेवी वर्मा के गीतों में लय और सरलता बेहिसाब भरी रहती थी। इनके काव्य सामाजिकता, प्राकृतिक प्रेम, प्रतीक योजना, मानवीकरण, के साथ विरह वेदना से परिपूर्ण है।
महादेवी वर्मा की भाषा शैली Mahadevi varma ki bhasa shaili
महादेवी वर्मा को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता था उन्होंने अपने काव्य में प्रमुख रूप से ब्रजभाषा को बहुत महत्व दिया है।
लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपने भाषा में शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली की रचनाएं देना शुरू कर दिया था।
महादेवी वर्मा के काव्य में संस्कृत शब्द के साथ में कहीं-कहीं पर उर्दू के शब्दों का मिलता जुलता प्रयोग देखने को मिल जाता है।
इन्होंने अलंकारात्मक, गीतात्मक, चित्रात्मक आदि शैलियों का प्रयोग किया है।
महादेवी वर्मा को दिए गए पुरस्कार wards givin to Mahadevi varma
महादेवी वर्मा को समाज कल्याण के प्रयास के लिए तथा हिंदी साहित्य के लिए कई प्रकार के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
महादेवी वर्मा को 1983 में मंगला प्रसाद पारितोषिक तथा भारत भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था।
इसके बाद 1956 में भारत सरकार द्वारा हिंदी साहित्य के लिए सम्मानित किया गया।
महादेवी वर्मा को सन 1988 में अमूल्य योगदान के लिए पदम भूषण से सम्मानित किया गया।
इन्हें अपनी रचना निर्जा के लिए 1934 में ससकेरिया पुरस्कार तथा यामा के लिए 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
महादेवी वर्मा को उनके काव्य संग्रह के लिए भी बहुत प्रकार के साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
महादेवी वर्मा का साहित्य में स्थान Mahadevi varma ka sahitya me sthan
महादेवी वर्मा समाज सुधारक और एक कवियत्री दोनों के रूप में समाज को अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।
महादेवी वर्मा ने हिंदी साहित्य और विभिन्न गद्य रचनाएं हम सभी को प्रदान की हैं संगीत में निपुण आत्मीयता का अनुभव करा देने वाली ऐसी कवित्री हमारे भारत देश के इतिहास में हमेशा सम्मानित रहेंगी।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 PDF
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महादेवी वर्मा का वैवाहिक जीवन Mahadevi ji ka vaivahik Jivan
महादेवी वर्मा का विवाह मात्र 11 वर्ष की आयु में डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा के साथ कर दिया गया था।लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था इनका वैवाहिक जीवन सुख में नहीं था।
इनका जीवन बहुत से आकांक्षाओं और महान आशाओं के प्रति फलित करने वाला था इसलिए महादेवी वर्मा ने अपने जीवन को साहित्य और समाज सेवा के लिए अर्पित कर दिया।
महादेवी वर्मा जी की मृत्यु Mahadevi Verma ji Ki Mrityu
महादेवी वर्मा जी की मृत्यु 11 सितंबर 1987 में प्रयागराज में हुई। यह हिंदी भाषा की मशहूर कवित्री थी जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली महान कवित्री थी।
दोस्तों महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12(Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12)
आशा करता हूं।आप सभी को अच्छा लगा होगा।
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